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होलिका दहन पूजा विधि:
होली का त्योहार दो दिनों का होता है। पहले दिन पूर्णिमा की रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन दुल्हेंडी के दिन होली का रंग खेला जाता है। होलिका दहन से पहले उसकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि होलिका दहन के वक्त विधिवत पूजा अर्चना करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है और आपके परिवार के लोगों की हर बुरी नजर से रक्षा होती है।
घर पर उपलब्ध होलिका दहन की पूजा सामग्री:
- गुजिया (घर की बनी)
- फूल
- गाय के गोबर से बनी गुलरी
- नया अनाज
- एक कटोरी पानी
सामग्री जो हम उपलब्ध कराते हैं
- कच्चा सूती धागा
- नारियल
- गुलाल पाउडर
- रोली
- धूप
- अक्षत
- मूंग की साबुत दाल
- हल्दी का टुकड़ा
- बताशे
होलिका दहन की पूजाविधि:
- सही स्थान और सही दिशा का चयन करें और उसी दिशा मुख करके बैठें।
- पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
- थाली में रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल, बताशे और कलश में पानी भरकर रखें।
- होलिका मइया की पूजा करें।
- भगवान नरसिंह और विष्णुजी का नाम लेकर पांच अनाज अर्पित करें।
- प्रह्लाद का नाम लेकर अनाज के दाने और फूल अर्पित करें।
- होलिका की सात परिक्रमा करें और अंत में गुलाल डालें।
- होलिका दहन के बाद उसमें कच्चे आम, सप्तधान्य, नारियल, मुट्टे, मूंग, चना, चावल आदि चीजें अर्पित करें।
इन सामग्रियों की सहायता से आप होलिका दहन की पूजा को विधिवत रूप से सम्पन्न कर सकते हैं और अपने परिवार को शुभ फलों से लाभान्वित कर सकते हैं।
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